Follow us

भारत का आखिरी रेलवे स्‍टेशन, जहां आज भी हैं अंग्रेजों के जमाने के कार्डबोर्ड के टिकट, यहीं से दिख भी जाता है बांग्लादेश

 
भारत का आखिरी रेलवे स्‍टेशन, जहां आज भी हैं अंग्रेजों के जमाने के कार्डबोर्ड के टिकट, यहीं से दिख भी जाता है बांग्लादेश

लाइफस्टाइल न्यूज डेस्क।। भारत इस साल अपना 64वां गणतंत्र दिवस मनाने जा रहा है। 26 जनवरी को मनाया जाने वाला यह दिन भारत के राष्ट्रीय पर्वों में से एक है। जैसा कि आप जानते हैं कि देश का संविधान 26 जनवरी 1950 को लिखा गया था और इसी दिन से भारत एक गणतंत्र राष्ट्र बना। तब से अब तक देश में बहुत कुछ बदल गया है, तकनीक हो, कई क्षेत्रों में विकास हो या कई चीजों में बदलाव हो, भारत हर चीज में आसमान छूता नजर आ रहा है।

लेकिन कुछ चीजें ऐसी भी हैं, जो आजादी के समय से भी भारत में चल रही हैं और इनमें देश के पुराने रेलवे स्टेशन भी शामिल हैं, जिन्होंने आज भी अपनी पहचान बरकरार रखी है। आज हम बात करने जा रहे हैं भारत के सबसे पुराने और आखिरी रेलवे स्टेशन के बारे में। अंग्रेजों के जमाने का यह रेलवे स्टेशन आज भी वैसा ही है जैसा आजादी के समय था। आइए आपको बताते हैं इस ऐतिहासिक रेलवे स्टेशन के बारे में।

भारत का आखिरी रेलवे स्‍टेशन, जहां आज भी हैं अंग्रेजों के जमाने के कार्डबोर्ड के टिकट, यहीं से दिख भी जाता है बांग्लादेश

सबसे पुराना रेलवे स्टेशन

हम जिस पुराने रेलवे स्टेशन की बात कर रहे हैं उसका नाम सिंघाबाद है। यह भारत का आखिरी रेलवे स्टेशन है, जो बांग्लादेश सीमा के बहुत करीब है। इस रेलवे का उपयोग मालगाड़ियों के परिवहन के लिए किया जाता है।

सिंघाबाद रेलवे स्टेशन कहाँ है?

सिंघाबाद रेलवे स्टेशन पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के हबीबपुर इलाके में स्थित है। इस स्टेशन से कुछ ही दूरी पर आपको बांग्लादेश बॉर्डर भी मिल जाएगा, जहां से लोग पैदल ही निकलते हैं। बता दें कि सिंहाबाद रेलवे स्टेशन से सटा कोई और रेलवे स्टेशन नहीं है। सिंघाबाद भी एक छोटा सा स्टेशन है, यहां आपको ज्यादा ट्रैफिक नहीं दिखेगा, क्योंकि यहां यात्रियों की आवाजाही कम और माल ढुलाई ज्यादा होती है।

भारत का आखिरी रेलवे स्‍टेशन, जहां आज भी हैं अंग्रेजों के जमाने के कार्डबोर्ड के टिकट, यहीं से दिख भी जाता है बांग्लादेश

स्टेशन गुलामी के दौरान बनाया गया था

यह रेलवे स्टेशन तब बना था जब भारत अंग्रेजों का गुलाम था। बाद में स्वतंत्रता के बाद भारत और पाकिस्तान का विभाजन हुआ और इस स्टेशन को बंद कर दिया गया। यह स्टेशन लंबे समय तक वीरान पड़ा रहा। फिर 1978 में इस रूट पर मालगाड़ियां चलाई गईं। इस दौरान मालगाड़ियां भारत से बांग्लादेश जा रही थीं।

आज भी यह स्टेशन वैसा ही है

आजादी के बाद से इस स्टेशन पर कोई बदलाव नहीं हुआ है। 2011 में हुए पुराने समझौते में नेपाल को भी इस मार्ग में शामिल कर लिया गया था। भारत के अलावा बांग्लादेश नेपाल जाने वाली ट्रेनें भी यहां से गुजरने लगीं। सिंघाबाद भारत का आखिरी स्टेशन है और रोहनपुर बांग्लादेश का पहला रेलवे स्टेशन है।

भारत का आखिरी रेलवे स्‍टेशन, जहां आज भी हैं अंग्रेजों के जमाने के कार्डबोर्ड के टिकट, यहीं से दिख भी जाता है बांग्लादेश

अंग्रेजों के जमाने की बातें

इस रेलवे स्टेशन पर आपको ब्रिटिश समय के सिग्नल, संचार और अन्य उपकरण लगे हुए मिलेंगे। यहां आपको उस समय के कीबोर्ड टिकट भी मिल जाएंगे, हालांकि यात्रियों की आवाजाही कम होने के कारण टिकट काउंटर को बंद कर दिया गया है। संकेतों के लिए हैंड गियर्स का उपयोग किया जाता है और पुराने जमाने के टेलीफोन भी हैं।

From around the web