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ये है भारत का सबसे खूबसूरत व खतरनाक आइलैंड, जहां अंग्रेज करते थे हिंदुस्तानी बागियों को कैद

 
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लाइफस्टाइल न्यूज डेस्क।। दुनिया में कई ऐसे आइलैंड हैं जो अपनी खूबसूरती के लिए जाने जाते हैं। भारत में एक द्वीप भी है जो अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के पास स्थित है। इस द्वीप को रॉस द्वीप या नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप के नाम से भी जाना जाता है। आपको बता दें कि अंडमान और निकोबार द्वीप समूह हिंद महासागर में स्थित है, जिसमें 572 छोटे द्वीप हैं। उनमें से केवल 38 ही बचे हैं।

बाकी अभी भी निर्जन हैं। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह भारत की तुलना में दक्षिण पूर्व एशिया के करीब हैं। अंडमान द्वीप समूह अपने खूबसूरत समुद्र तटों, सुंदर दृश्यों, अछूते जंगलों, दुर्लभ समुद्री जीवन और प्रवाल भित्तियों के लिए विश्व प्रसिद्ध है।

इन खूबसूरत द्वीपों के पीछे कई दशकों पुराना एक काला इतिहास छिपा है। रॉस द्वीप अंडमान में एक द्वीप है जिसे अब नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप के नाम से जाना जाता है। द्वीप साम्राज्यवादी इतिहास के काले रहस्यों को छुपा रहा है। आपको बता दें कि उन्नीसवीं सदी के ब्रिटिश राज के अवशेष आज भी यहां मौजूद हैं। रॉस आइलैंड में आलीशान बंगले, विशाल चर्च, बॉलरूम और एक कब्रिस्तान के खंडहर हैं, जिनकी हालत दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है। यहां जंगल तेजी से बढ़ रहे हैं और पुरानी इमारतें अपना वजूद खो रही हैं।

ये है भारत का सबसे खूबसूरत व खतरनाक आइलैंड, जहां अंग्रेज करते थे हिंदुस्तानी बागियों को कैद

आपको बता दें कि 1857 में भारत के पहले स्वतंत्रता संग्राम के बाद ब्रिटिश साम्राज्य ने विद्रोहियों को अंडमान के सुदूर द्वीपों में लाने और उन्हें कैद करने की योजना बनाई थी। 1858 में 200 विद्रोहियों को लेकर एक जहाज अंडमान पहुंचा। उस समय सभी द्वीपों पर घने जंगल थे। वहां इंसानों का रहना मुश्किल था। रॉस द्वीप, केवल 0.3 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र के साथ, इन कैदियों को रखने के लिए चुना गया पहला द्वीप था। कारण यहां पीने का पानी मौजूद था। लेकिन इस द्वीप के जंगलों को साफ करने और इसे इंसानों के रहने योग्य बनाने की जिम्मेदारी उन्हीं कैदियों के कंधों पर आ गई। इस बीच, ब्रिटिश अधिकारी बोर्ड पर बने रहे।

उसके बाद अंग्रेजों ने राजनीतिक बंदियों को अंडमान में रखना शुरू कर दिया। इसके बाद ब्रिटिश अधिकारियों ने रॉस द्वीप को अंडमान का प्रशासनिक मुख्यालय बनाना शुरू किया। उसके बाद, रॉस द्वीप को वरिष्ठ अधिकारियों और उनके परिवारों के रहने के लिए पर्याप्त रूप से विकसित किया गया था।

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ब्रिटिश अधिकारियों और उनके परिवारों को बीमारियों से बचाने के लिए रॉस आइलैंड में बेहद खूबसूरत इमारतें बनाई गईं। शानदार लॉन बनाए गए। बंगले सुंदर फर्नीचर से भरे हुए थे। एक टेनिस कोर्ट बनाया गया था। बाद में यहां एक चर्च और एक जल शोधन संयंत्र भी बनाया गया। इसके अलावा रॉस आइलैंड पर एक आर्मी बैरक और एक अस्पताल भी बनाया गया था।

बाद में डीजल जनरेटर के साथ एक बिजलीघर भी बनाया गया। ताकि यहां रोशनी की व्यवस्था की जा सके। इन्हीं खूबियों की वजह से चारों ओर बिखरी तबाही के बीच रॉस आइलैंड एक चमकता सितारा बन गया। 1942 के बाद यह द्वीप वीरान हो गया। 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद, अंडमान और निकोबार भी भारत का हिस्सा बन गया। लेकिन भारत सरकार ने इसे अपने ऊपर छोड़ दिया। 1979 में इस द्वीप पर भारतीय नौसेना का कब्जा था।

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