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भारत के सबसे प्राचीन सूर्य मंदिर में छिपा है अद्भुत रहस्य, निर्माण हुआ था डेढ़ लाख साल से पहले, जानिए इसके बारे में

 
लाइफस्टाइल न्यूज डेस्क।।

लाइफस्टाइल न्यूज डेस्क।। सूर्य मंदिरों में सबसे पहले कोणार्क के सूर्य मंदिर का नाम लिया जाता है।  देशभर में भगवान सूर्य के कई प्रसिद्ध मंदिर हैं। लेकिन बिहार के औरंगाबाद जिले में एक सूर्य मंदिर स्थित है जो आस्था का केंद्र है। छठ पूजा करने के लिए यहां पर बिहार के साथ ही कई राज्यों के लोग आते हैं।  इसके साथ ही यह बेहद रहस्यमयी मंदिर है। छठ महापर्व पर इस मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ होती है। 

इस मंदिर में भगवान सूर्य सात घोड़े वाले वाले रथ पर सवार हैं। इस मंदिर में भगवान सूर्य के तीनों रूपों उदयाचल-प्रात: सूर्य, मध्याचल- मध्य सूर्य और अस्ताचल -अस्त सूर्य के रूप में प्रतिमा स्थापित है। यह भारत का पहला ऐसा सूर्य मंदिर है जिसका दरवाजा पश्चिम की तरफ है। बताया जाता है कि छठ पूजा की शुरुआत यहीं से हुई थी।  हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, इस प्राचीन सूर्य मंदिर का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने एक रात में कर दिया था। 

भारत के सबसे प्राचीन सूर्य मंदिर में छिपा है अद्भुत रहस्य, निर्माण हुआ था डेढ़ लाख साल से पहले, कहा जाता है आस्था का केन्द्र

डेढ़ लाख साल से पहले मंदिर का हुआ था निर्माण

आयताकार, वर्गाकार, अर्द्धवृत्ताकार, गोलाकार, त्रिभुजाकार पत्थर से इस मंदिर का निर्माण किया गया है। इसके निर्माण में गारा या सीमेंट का इस्तेमाल नहीं किया गया है।  यह मंदिर करीब एक सौ फीट ऊंचा है। इसके अलावा यह मंदिर स्थापत्य और वास्तुकला का बेहतरीन उदाहरण है। बताया जाता है कि डेढ़ लाख साल पहले इस मंदिर का निर्माण किया गया था। आज भी यह रहस्य है कि यह मंदिर एक रात में कैसे बन गया और पश्चिम की तरफ मुख का होकर भी भगवान सूर्य के दर्शन कैसे होते हैं। 

जानिए कैसे किया गया निर्माण
इस मंदिर का निर्माण  काले और भूरे पत्थरों से किया गया है। यह सूर्य मंदिर देखने पर ओडिशा के जगन्नाथ मंदिर की तरह दिखता है। यह प्राचीन सूर्य मंदिर अपने इतिहास के लिए भी देशभर में प्रसिद्ध है।  डेढ़ लाख वर्ष पुराना यह सूर्य मंदिर औरंगाबाद से करीब 18 किलोमिटर दूर स्थित है।  इस मंदिर का निर्माण त्रेता युग में  किया गया था। मंदिर के बाहर एक शिलालेख पर ब्राह्मी लिपि में एक श्लोक लिखा गया है। शिलालेख पर लिखे श्लोक के मुताबिक, इस पौराणिक मंदिर के निर्माण को 1 लाख 50 हजार 19 वर्ष पूरे हो चुके हैं।

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