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माता वैष्णो देवी मंदिर से जुड़े इन रहस्यों के बारे में कितना जानते हैं आप?

 
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ऐसी मान्यता है कि माता ने इस गुफा में नौ महीने बिताए थे, ठीक वैसे ही जैसे कोई शिशु अपनी मां के गर्भ में रहता है। यहां मां वैष्णो देवी 9 महीने तक भैरो नाथ से छिपी रही थी। इसी वजह से इसे गर्भजून गुफा कहा जाता है और वर्षों से यह माना जाता रहा है कि जो महिलाएं इस गुफा में प्रवेश करती हैं उन्हें प्रसव के दौरान कभी कोई समस्या नहीं होती है। ऐसा कहा जाता है कि मंदिर का निर्माण कराने वाले पंडित श्रीधर को बच्ची के रूप में प्रकट हुई मां वैष्णो देवी ने स्‍वयं इस गुफा के बारे में बताया था।

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हालांकि, दिव्य गुफाओं को बहुत से जांचकर्ताओं को दिखाया गया है जिससे पता चला है कि गुफा दस लाख वर्ष पुरानी है, जब से तीर्थयात्रियों ने वैष्णो देवी की यात्रा शुरू की थी।

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कथा के अनुसार जब मां वैष्णो देवी ने भैरो का वध किया था तब उनका शरीर इसी गुफा में रह गया था और सिर घाटी में जा गिरा था। कहते हैं कि इस गुफा में आज भी भैरो का शरीर मौजूद है।

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वैष्णो देवी को सभी स्थानों (शक्तिपीठ) में सबसे दिव्य माना जाता है। इस बात के प्रमाण मिले हैं कि माता सती का मस्तिष्क इसी स्थान पर गिरा था।

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वैष्णो देवी में तीन अलग-अलग प्रमुख गुफाएं हैं, पुरानी गुफा साल के अधिकांश महीनों में बंद रहती है, वो इसलिए क्योंकि ये यूनीक गुफा बहुत पतली है और तीर्थयात्रियों को इसे पार करने में काफी समय लगता है। दो गुफाएं आर्टिफिशियल हैं, जो आपको मुख्य मंदिर में रखी तीन पिंडियों तक ले जाती है।

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