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भारत के इस अनोखे मंदिर में मां की मूर्ति नहीं सालों से मिट्टी की प्रतिमा की होती है पूजा, जानिए क्या है वजह

 
भारत के इस अनोखे मंदिर में मां की मूर्ति नहीं सालों से मिट्टी की प्रतिमा की होती है पूजा, जानिए क्या है वजह

लाइफस्टाइल न्यूज डेस्क।। बिहार के सारण जिले के दिघवारा क्षेत्र में स्थित अंबिका स्थान मंदिर भगवान शिव के विश्व प्रसिद्ध पशुपतिनाथ मंदिर, विश्वनाथ मंदिर और वैद्यनाथ धाम के साथ एक अछूता त्रिकोण बनाते हुए भक्तों के लिए आस्था का केंद्र है। ऐसा कहा जाता है कि यदि इस मंदिर को केंद्र बिंदु माना जाए तो पड़ोसी देश नेपाल के काठमांडू में पशुपतिनाथ मंदिर, पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में विश्वनाथ मंदिर और झारखंड के देवघर में बाबा वैद्यनाथ धाम समान दूरी पर हैं।

भारत के इस अनोखे मंदिर में मां की मूर्ति नहीं सालों से मिट्टी की प्रतिमा की होती है पूजा, जानिए क्या है वजह

इन सभी मंदिरों से थोड़ी दूरी पर अंबिका मंदिर एक त्रिकोण बनाता है। इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहां मां दुर्गा के रूप में मिट्टी की पिंडी की पूजा की जाती है। इसी कारण यह सिद्धपीठ सदैव भक्तों के लिए आस्था का केंद्र रहा है। हर साल आश्विन और चैत्र माह में नवरात्रि के अवसर पर यहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है। भक्त अपने घरों से यहां आते हैं और नौ दिनों तक मंदिर में रहकर दुर्गा सप्तशती का पाठ और जाप करते हैं।

पूरे वर्ष भर मंदिर के द्वार सुबह-शाम की आरती के बाद भक्तों के लिए मंदिर के पुजारियों द्वारा खोले जाते हैं, जिसमें आम भक्त भाग लेते हैं। लेकिन नवरात्रि के अवसर पर मां अंबिका की आरती केवल मंदिर के पुजारियों द्वारा की जाती है, जिसमें आम भक्तों का प्रवेश प्रतिबंधित है। प्रशासनिक और पुलिस सेवाओं के अधिकारियों के अलावा, बड़ी संख्या में राजनेता और अन्य भक्त भी यहां आते हैं। मां अंबिका का आशीर्वाद लेने के लिए वे दूर-दूर से यहां आते हैं।

भारत के इस अनोखे मंदिर में मां की मूर्ति नहीं सालों से मिट्टी की प्रतिमा की होती है पूजा, जानिए क्या है वजह

मंदिर के पास एक बड़ा बगीचा है जिसमें एक गहरा और चौड़ा कुआँ है। स्थानीय लोगों के मुताबिक, यह कुआं कभी नहीं सूखता और पूरे साल पानी से भरा रहता है। आमी मंदिर से जुड़ी एक मान्यता यह भी है कि यहां पूजा करने वालों की देवी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। दुनिया में अगर कहीं मिट्टी की मूर्ति है तो वह आमी में है।

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