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भारत का पानी में तैरता हुआ चर्च, 1860 में हुआ था निर्माण, जानिए क्या है इसके पीछे की कहानी

 
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लाइफस्टाइल न्यूज डेस्क।। भारत में कई ऐसी जगहें हैं जो वैज्ञानिकों के लिए भी एक रहस्य हैं। देश में रहस्यमयी इमारतों और किलों से जुड़ी कहानियां देखकर लोग हैरान हैं। अब इस कड़ी में हम आपको फ्लोटिंग चर्च के बारे में बताएंगे। चर्च मानसून में जलमग्न है और गर्मी के मौसम में उगता है। आइए जानते हैं इस अनोखे चर्च के बारे में...

कर्नाटक में स्थित यह भारत का एकमात्र तैरता हुआ चर्च है। चर्च राज्य में हसन से लगभग 22 किमी दूर स्थित है, और इसे शेट्टीहल्ली रोज़री चर्च कहा जाता है। स्थानीय लोग इसे धँसा हुआ चर्च या तैरता हुआ चर्च कहते हैं। चर्च अब पूरी तरह से सुनसान है और केवल कभी-कभी पर्यटकों या स्थानीय लोगों द्वारा दौरा किया जाता है। यह खंडहर चर्च कला का एक अद्भुत नमूना है जो आज भी बेहद खूबसूरत दिखता है।

भारत का पानी में तैरता हुआ चर्च, 1860 में हुआ था निर्माण, जानिए क्या है इसके पीछे की कहानी

चर्च का निर्माण 1860 में फ्रांसीसी मिशनरियों द्वारा किया गया था। अब खंडहर में, चर्च हेमावती नदी के तट पर स्थित है। इस चर्च की खासियत यह है कि यह बारिश के मौसम में पानी में डूब जाता है। इस जगह को भारत की गुमनाम जगह में शामिल किया जा सकता है। वर्ष 1960 में हेमावती नदी पर एक बांध बनाया गया था, फिर इस चर्च के आसपास की भूमि धीरे-धीरे रेतीली हो गई और यह चर्च भी वीरान हो गया।

भारत का पानी में तैरता हुआ चर्च, 1860 में हुआ था निर्माण, जानिए क्या है इसके  पीछे की कहानी - Indias Floating Church In Karnataka Know What Is The Story  Behind This -

चर्च के आसपास का क्षेत्र लगभग पूरे वर्ष जलमग्न रहता है। इसलिए इसकी विशेषता बढ़ जाती है। अगर आप बारिश के मौसम में यहां पहुंचते हैं तो चर्च का एक तिहाई हिस्सा ही दिखाई देता है। रोज़री चर्च का नया नाम द ड्रॉइंग चर्च मिस्टिक अट्रैक्शन है। यह एकांत चर्च कई पक्षियों का घर है। इसके अलावा यह एक शांत जगह भी है जहां पर्यटक शांति के कुछ पल बिता सकते हैं।

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