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केरल के इस मंदिर में होती है मामा शकुनि की पूजा, जानिए क्यों बनाया गया है ये मंदिर

 
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 लाइफस्टाइल न्यूज़ डेस्क !! हमारे देश में कई देवताओं की पूजा की जाती है। भारत में पूरे 33 कोटि के देवी देवताओं की पूजा की जाती है। लेकिन देवताओं के अलावा कुछ राक्षस भी हैं, जिनकी पूजा की जाती है। श्रीलंका में रावण के बारे में तो आपने खूब सुना होगा, लेकिन क्या आप शकुनि के मंदिर के बारे में जानते हैं। जी हां, महाभारत युद्ध को रचने वाले दुर्योधन के मामा शकुनि का मंदिर। ये मंदिर दक्षिण भारत में स्थित है।

पूरे विधि के साथ की जाती है मामा शकुनि की पूजा

केरल के कोल्लम में मौजूद मंदिर में मामा शकुनि की पूरी विधि विधान के साथ पूजा की जाती है। माना जाता है कि मामा शकुनि की पूजा करने से सॉरी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। मंदिर मायम्कोट्टू मलंचारुवु मलनाड मंदिर के नाम से भी प्रसिद्ध है।

जानें क्या है मंदिर बनाने की कहानी

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कहते हैं, जब महभारत का युद्ध खत्म हुआ था, तब शकुनि को बेहद दुख हुआ था। उसका मन विचलित होने लगा था। महाभारत के युद्ध में हजारों लोगों की मृत्यु हो गई थी और कई सम्राज्यों को भी नुकसान भी पहुंचा था। इसके बाद शकुनि ने पश्चाताप करने के लिए भगवान शिव की भक्ति करना शुरू कर दिया। तपस्या से खुश होकर भगवान शिव ने उसे दर्शन दिए और उसे कृतार्थ कर दिया। जिस जगह शकुनि ने तपस्या की थी, वहां उसके मंदिर की स्थापना कर दी गई। वहीं जिस पत्थर पर शकुनि ने तप किया था, इस पत्थर को आज पवित्रेश्वरम के नाम से मान्यता मिली है। इसकी पूजा करने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। ये मंदिर कोल्लम में स्थित है।

हर साल आयोजित होता है मलक्कुडा महोलसवम उत्सव

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कालांतर में जब मामा शकुनि ने तप किया था, वहां आज मंदिर स्थापित है, इस जगह हर साल मलक्कुडा महोलसवम नाम का एक भव्य उत्सव का आयोजित होता है। इस फेस्टिवल में शामिल होने के लिए हर साल हजारों लोग आते हैं। मंदिर में शकुनि के अलावा देवी माता, नागराज और किरात्मूर्ति की भी पूजा होती है।

कैसे पहुंचें कोट्टाराक्कारा

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कोट्टारक्कारा तिरुवनंतपुरम से लगभग 65 किमी दूर है। यह कोट्टाराक्कारा तालुक से पवित्रेश्वरम तक पहुंचने के लिए लगभग 16 किमी दूर है।

बस द्वारा: केरल के मुख्य शहरों से कोट्टाराक्कारा के लिए कई बसें हैं। वहां से निजी वाहनों की व्यवस्था करना बेहतर है।

कोट्टारकरा पहुंचने के लिए

 

ट्रेन द्वारा: मुनरोतुरुट्टू रेलवे स्टेशन (30 किमी) कोट्टारकरा पहुंचने के लिए पास का रेलवे स्टेशन है।

हवाई मार्ग से: तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डा पास का हवाई अड्डा है।

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