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बेहद भव्य है उत्तराखंड में स्थित पार्वती कुंड और जागेश्वर मंदिर, जानें इसका इतिहास

 
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उन्होंने ये भी कहा कि मेरे उत्तराखंड के दौरे में सबसे यादगार अनुभव के रूप में केदारनाथ और बद्रीनाथ के पवित्र स्थान भी शामिल हैं, लेकिन कई वर्षों के बाद पार्वती कुंड और जागेश्वर मंदिर के दर्शन करना बेहद खास अनुभव रहा। अपने इस पोस्ट में उन्होंने इन जगहों की प्राकृतिक सुंदरता और दिव्यता के बारे में बताया है।

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अगर आप पार्वती कुंड जाना चाहते हैं तो उत्तराखंड के कुमाउं क्षेत्र के पिथौरागढ़ जिले में स्थित पार्वती कुंड तक पहुंचने के लिए सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम है। यहां से सड़क के रास्ते पहाड़ों पर करीब 250 किमी के सफर के बाद 5,338 फुट की ऊंचाई पर पार्वती कुंड आता है।

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ऐसी मान्यता है कि इसी जगह पर भगवान शिव और उनकी पत्नी पार्वती ने ध्यान किया था। इसी वजह से हर साल, हजारों श्रद्धालु माता पार्वती का आशीर्वाद लेने के लिए यहां आते हैं।

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अल्मोड़ा से जागेश्वर धाम की दूरी करीब 40 किमी है। समुद्रतल से करीब 6,200 फुट की ऊंचाई पर मौजूद यह शिव मंदिर बेहद खास है। इस मंदिर का इतिहास तकरीबन 2500 साल पुराना बताया जाता है। यहां पत्थर से बने 124 छोटे-छोटे मंदिर भी मौजूद हैं। माना जाता है कि शिवपूजन की सबसे पहली परंपरा यहीं से शुरू हुई थी। इस मंदिर में लोग दूर-दूर से पूजा करने आते हैं।

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जागेश्वर धाम में जो सबसे अहम शिव मंदिर हैं, उसमें भगवान शिव की पूजा नागेश के रूप में की जाती है। भगवान शिव के अलावा इस मंदिर में भगवान विष्णु, देवी शक्ति और भगवान सूर्य की प्रतिमा भी मौजूद हैं। इन मंदिरों की भव्यता देखने लायक है। यहां जाने के लिए कोठगोदाम और देहरादून सबसे पड़ोसी जिले हैं।

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