Follow us

उत्तराखंड में यहां स्थित है कुबेर का एकमात्र मंदिर, जहां चांदी का सिक्का ले जाने से नहीं होती धन की कमी

 
s

लाइफस्टाइल न्यूज डेस्क।। कहा जाता है कि भारत में लाखों मंदिर हैं। प्रत्येक मंदिर का अपना अनूठा इतिहास है। आपने देश के ज्यादातर मंदिरों के बारे में सुना होगा, लेकिन आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे, जहां दर्शन करने मात्र से ही भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। यह मंदिर भगवान की भूमि उत्तराखंड से 40 किमी की दूरी पर जागेश्वर धाम में स्थित है। इस मंदिर को जागेश्वर धाम के नाम से जाना जाता है। इस धाम में एक कुबेर मंदिर भी है। कहते हैं कुबेर धन के देवता हैं। कुबेर रावण के सौतेले भाई भी थे। दिवाली और धनतेरस पर भगवान कुबेर की पूजा की जाती है। आइए जानते हैं इस मंदिर के बारे में।

कुबेर मंदिर का इतिहास

उत्तराखंड के अल्मोड़ा में स्थित इस कुबेर मंदिर का इतिहास इस मंदिर जितना ही रोचक है। कुछ लोगों का मानना ​​है कि इस मंदिर का निर्माण 7वीं शताब्दी में हुआ था, जबकि अन्य का मानना ​​है कि इसे 9वीं शताब्दी में बनाया गया था। जबकि कुछ का मानना ​​है कि इसका निर्माण 7वीं से 14वीं शताब्दी के बीच कतौरी राजवंश के दौरान हुआ था।

उत्तराखंड में यहां स्थित है कुबेर का एकमात्र मंदिर, जहां चांदी का सिक्का ले जाने से नहीं होती धन की कमी

छठा कुबेर मंदिर

बता दें कि यह देश का छठा कुबेर मंदिर है। यहां भगवान कुबेर एकमुखी शिवलिंग में विराजमान हैं। पुजारियों का कहना है कि यह देश का सबसे पुराना कुबेर मंदिर है। भगवान कुबेर की यहां भगवान शिव के रूप में पूजा की जाती है। कहा जाता है कि जिस पर भगवान कुबेर की कृपा होती है उसे कभी भी धन और ऐश्वर्य की कमी नहीं होती है।

कुबेर मंदिर की मान्यता

यहां रहने वाले लोगों का मानना ​​है कि मंदिर में हर किसी की मनोकामना पूरी होती है। खासकर जो लोग आर्थिक रूप से कमजोर हैं उन्हें इस मंदिर से जाप करने के बाद पीले कपड़े में लपेटा हुआ चांदी का सिक्का दिया जाता है। लोगों की मनोकामना पूरी होने पर वे भगवान कुबेर को खीर का भोग भी लगाते हैं।

उत्तराखंड में यहां स्थित है कुबेर का एकमात्र मंदिर, जहां चांदी का सिक्का ले जाने से नहीं होती धन की कमी

धन की कभी कमी नहीं रहती है

इसके अलावा जिन लोगों का कारोबार ठीक नहीं चल रहा होता है वे भी इस मंदिर में आवेदन करने पहुंचते हैं। एक अन्य मान्यता के अनुसार जो कोई भी इस मंदिर के गर्भगृह से मिट्टी लेकर अपने खजाने में रखता है, उसके घर में कभी भी धन की कमी नहीं रहती है।

दिवाली का दिन उजला है

दिवाली के दिन धन के देवता कुबेर की पूजा की जाती है। इसलिए धनतेरस और दिवाली के दिन भक्तों का तांता लगा रहता है। अगर आप इस मंदिर का असली वैभव देखना चाहते हैं तो धनतेरस और दिवाली के बीच यहां जाएं। मंदिर को दुल्हन की तरह सजाया जाता है और कई कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।

From around the web