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अमेरिका में भी मौजूद है हनुमान जी की 25 फीट ऊंची ये विशाल प्रतिमा, विदेशियों में भी लगती है एक झलक पाने के लिए होड़

 
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लाइफस्टाइल डेस्क।।   दुनिया के कई देशों में भगवान राम के साथ-साथ हनुमानजी की भी पूजा की जाती है। दुनिया में थाईलैंड, बर्मा, कंबोडिया, लाओस, मलेशिया, इंडोनेशिया जैसे कई देश हैं जहां लोग भगवान हनुमान की पूजा करते हैं। हनुमानजी के लिए यह प्रेम दूसरे देश में देखा जा सकता है जहां कुछ साल पहले उनकी 25 फीट ऊंची प्रतिमा लगाई गई थी। हम बात कर रहे हैं अमेरिका के डेलावेयर में हॉकसिन साइट की जहां भगवान हनुमान की सबसे ऊंची प्रतिमा स्थापित है। बता दें, इस मूर्ति को तेलंगाना के वारंगल में बनाया गया था और फिर इसे अमेरिका भेजा गया था. दिलचस्प बात यह है कि न्यूकैसल में होली स्पिरिट चर्च में स्टैच्यू ऑफ अवर लेडी क्वीन ऑफ पीस के बाद यह देश की दूसरी सबसे ऊंची धार्मिक प्रतिमा है। आइए आपको बताते हैं हनुमानजी की इस लंबी मूर्ति के बारे में कुछ दिलचस्प बातें।

अमेरिका में भी है हनुमान जी की 25 फीट ऊंची प्रतिमा, एक झलक पाने के लिए विदेशियों में भी लगती है होड़

वारंगल से अमेरिका भेजी गई हनुमान जी की प्रतिमा

भगवान हनुमान की 25 फीट ऊंची मूर्ति को वारंगल से जहाज द्वारा न्यूयॉर्क भेजा गया था। फिर उसे एक फ्लैटबेड ट्रक में डाल दिया गया और डेलावेयर भेज दिया गया। बता दें, वारंगल के 12 से ज्यादा कारीगरों ने काले ग्रेनाइट के एक ब्लॉक से यह मूर्ति बनाई है। भगवान हनुमान की मूर्ति अब संयुक्त राज्य अमेरिका में सबसे ऊंची हिंदू देवता है।

अमेरिका में भी है हनुमान जी की 25 फीट ऊंची प्रतिमा, एक झलक पाने के लिए विदेशियों में भी लगती है होड़

भगवान हनुमान की मूर्ति का वजन और मूल्य 

भगवान हनुमान की मूर्ति का वजन 45 टन (45,000 किलोग्राम) है। दरअसल, मूर्ति की कीमत 100,000 डॉलर (₹76,17,250) से अधिक है। इसमें तेलंगाना से संयुक्त राज्य अमेरिका में उत्पादन और शिपिंग पर खर्च की गई राशि शामिल है। इस मूर्ति को शिल्पकारों या कारीगरों ने ग्रेनाइट पत्थर से तराशा है। इस मूर्ति को बनाने में 12 से ज्यादा कारीगर लगे हुए थे और इसे बनाने में करीब 1 साल का समय लगा था।

हनुमान जी की मूर्ति की स्थापना से शुभ फल की प्राप्ति होगी।

इस दौरान "हनुमान परियोजना" नामक परियोजना के तहत 10 दिवसीय स्थापना में 300 से अधिक परिवारों और भक्तों ने भाग लिया। अमेरिका पहुंचने के बाद हनुमान की मूर्ति को बेंगलुरु के एक पुजारी ने शुद्ध किया। दिलचस्प बात यह है कि भगवान हनुमान के संस्कार हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार किए गए, जिसमें पानी, चावल के दाने और फूल शामिल थे। यहां के पुजारी का कहना है कि जैसे हनुमानजी संजीव लेकर आए थे, वैसे ही डेलावेयर में उनकी मूर्ति स्थापित हो जाने पर अच्छी चीजें आएंगी। न केवल हिंदू बल्कि विदेशी भी इस जगह पर जाने के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं।

इस देश में स्थापित केवल हनुमान ही भगवान विष्णु की मूर्ति नहीं हैं 

हिंदू धर्म के देवी-देवताओं का देश ही नहीं विदेशों में भी बहुत सम्मान है। इंडोनेशिया में केवल हनुमान की ही नहीं बल्कि भगवान विष्णु की भी मूर्ति है। यह मूर्ति चील की मूर्ति के नाम से प्रसिद्ध है। बता दें, भगवान विष्णु की सबसे ऊंची प्रतिमा भारत में नहीं इंडोनेशिया में है। यह प्रतिमा करीब 122 फीट ऊंची और 64 फीट चौड़ी है।

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