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दुनिया में इस जगह मौजूद है ये रहस्यमयी गांव जहाँ पैदा होते ही गूंगे-बहरे हो जाते हैं बच्चे, एक श्राप है वजह, कोई नहीं समझ पाता इनकी भाषा

 
दुनिया में इस जगह मौजूद है ये रहस्यमयी गांव जहाँ पैदा होते ही गूंगे-बहरे हो जाते हैं बच्चे, एक श्राप है वजह, कोई नहीं समझ पाता इनकी भाषा

लाइफस्टाइल न्यूज डेस्क।। दुनिया अजूबों से भरी है। यहां कई रहस्य हैं। कुछ ऐसे भी हैं जिनके रहस्य आज भी गुप्त हैं। आपको बता दें कि ऐसे कई गांव हैं जो अपनी विशेषताओं के लिए पूरी दुनिया में मशहूर हैं। आज हम आपको एक ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं जहां बच्चे पैदा होते ही मूक-बधिर हो जाते हैं। इस गांव के लोग आपस में संवाद करने के लिए एक विशेष सांकेतिक भाषा का उपयोग करते हैं। यह भाषा सैकड़ों वर्ष पुरानी है। इसे काटा कोलोक कहा जाता है।

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यह सांकेतिक भाषा केवल ग्रामीण समझते हैं
यह अजीबोगरीब गांव इंडोनेशिया में है। गांव का नाम बांगकला है और यहां रहने वाले सभी लोग सांकेतिक भाषा में ही बात करते हैं। इस गांव के ज्यादातर लोग मूक और बहरे हैं। कहा जाता है कि गांव में पैदा होने के बाद बच्चे बहरे और गूंगे हो जाते हैं। इस गांव के लोगों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली सांकेतिक भाषा काटा कोलोक कहलाती है। इनकी भाषा सैकड़ों साल पुरानी है और इस भाषा को गांव वाले ही समझते हैं।

बहुत कम पर्यटक
इस गांव में बहुत कम पर्यटक आते हैं। इस गांव को बधिर गांव के नाम से भी जाना जाता है। यह दुनिया का एकमात्र गांव है जहां लोग बोल या सुन नहीं सकते हैं। काटा कोलोक एक सांकेतिक भाषा है जिसका इस्तेमाल न केवल इस गांव के लोग बल्कि सरकारी कार्यालयों में भी करते हैं। इस गांव की आबादी करीब तीन हजार है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस गांव में chth3 नामक जीन की मौजूदगी के कारण यहां के लोग बहरे और गूंगे हैं। यहां पैदा हुए लोगों में यह जीन सात पीढ़ियों तक चलता है। जिससे लोग बहरे पैदा होते हैं।

लोग मानते हैं कि श्राप ही इसका कारण है

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वैज्ञानिकों के उलट गांव वालों का मानना ​​है कि उनके बहरेपन का कारण कुछ और है. इस गांव में रहने वाले लोगों का मानना ​​है कि उन्हें यह बहरापन एक श्राप के कारण मिला था। यहां के लोगों का कहना है कि कई साल पहले यहां दो लोग रहते थे जो काला जादू जानते थे, लेकिन दोनों के बीच लड़ाई हो गई, जिस दौरान उन्होंने एक दूसरे को बहरा होने का श्राप दे दिया। यहां रहने वाले लोगों को लगता है कि यह श्राप पिछली सात पीढ़ियों से फैल रहा है।

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