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लंदन के बकिंघम पैलेस से 4 गुना बढ़ा है भारत के ये शाही महल, स्‍वीमिंग पूल से लेकर गोल्‍फ कोर्स भी है

 
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लक्ष्मी विलास पैलेस का निर्माण 1890 में किया गया था और इसे पूरा होने में लगभग 12 साल लगे थे। यह शाही महल अभी भी वडोदरा के शाही परिवार, गायकवाड़ का घर है। लक्ष्मी विलास पैलेस परिसर के भीतर कई इमारतें हैं जिसमें एलवीपी बैंक्वेट्स एंड कन्वेंशन, मोती बाग पैलेस और महाराजा फतेह सिंह संग्रहालय भवन बने हुए हैं।संग्रहालय खासतौर से राजा के बच्चों के लिए एक स्कूल के रूप में बनाया गया था। आज, इसमें राजा रवि वर्मा के चित्रों का एक दुलर्भ संग्रह और दुनिया भर से एकत्रित की गई विभिन्न कलाकृतियों को प्रदर्शित किया गया है।

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लक्ष्‍मी विलास पैलेस की वास्‍तुकला अतुलनीय है। इसे इंडो-सरसेनिक शैली में बनाया गया है। इसके गुंबदों, मीनारों और मेहराबों पर गोथिक, मुस्लिम और हिंदू तत्वों का संयोजन देखा जा सकता है। चार्ल्स मंट लक्ष्मी विलास पैलेस के मुख्य वास्तुकार थे और उन्होंने अपनी टीम के साथ इसे पूरा करने में 12 साल से ज्‍यादा का समय लिया।

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कहते हैं कि इस महल को सिर्फ दो लोगों यानी महाराजा और महारानी के लिए बनाया गया था। कमरों में कांस्य, संगमरमर और टेराकोटा से बनी कुछ सुंदर मूर्तियां हैं। 700 एकड़ में फैले लक्ष्मी विलास पैलेस में बहुत ही सुंदर नवलखी बावड़ी, महाराजा फतेहगढ़ संग्रहालय और एक छोटा चिड़ियाघर है जो मगरमच्छों के लिए विश्राम स्थल के रूप में जाना जाता है।

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महल में चेकिंग के बाद भारतीय पर्यटकों के लिए 225 रुपए और विदेशी पर्यटकों के लिए 400 रूपए प्रति व्यक्ति एंट्री टिकट खरीद रखी गई है। अगर आपको लगता है कि टिकट महंगा है, तो यहां कई भाषाओं में ऑडियो गाइड की सुविधा भी उपलब्‍ध है। आप हिंदी, गुजराती और अंग्रेजी भाषा में से किसी को भी चुन सकते हैं।

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स्विमिंग पूल, जकूज़ी और बेबी पूल के साथ, यह जगह फैमिली ट्रिप के लिए मज़ेदार है। इतना ही नहीं यहां एक एक आयुर्वेदिक मसाज सेंटर भी है। इसके अलावा पर्यटक हर शाम यहां पर कठपुतली का आनंद ले जा सकते हैं।

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